Wednesday, September 8, 2010

स्मोकिंग है याद्दाश्त की भी दुश्मन।

स्मोकिंग करना सिर्फ कैंसर का कारक ही नहीं है, याद्दाश्त का भी दुश्मन है। जो लोग बीडी अथवा सिगरेट पीने के लती होते हैं, और साथ ही तनाव भरा जीवन जीते हैं ऐसे लोग 55-60 की उम्र तक आते आते सामान्य विस्मृति के शिकार हो जाते हैं।

ऐसा दावा है अमेरिका के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ रोजर बुलाक का। वे पिछले दिनों चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के चौथे स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने आए थे।

डॉ रोजर ने कहा कि याद्दाश्त कम होना या फिर पूरी तरह से चले जाने की बीमारी को चिकित्सा विज्ञान की भाषा में डिमेंशिया कहते हैं। इस रोग में चपेट में आने वालें की संख्या लगातार बढ रही हैा धुम्रपान और तनाव इसके दो प्रमुख कारण हैं।

लगातार बीडी अथवा सिगरेट पीने से मस्तिष्क की महत्वपूर्ण कोशिकाएं प्रभावित होती हैं, जिससे स्मरण शक्ति कमजोर होने लगती है। यही कारण है कि जो लोग पांच साल या अधिक समय तक धुम्रपान करते हैं, ऐसे लोगों की 55 साल की आयु के बाद सोचने समझने की शक्ति दूसरों की तुलना में काफी कम हो जाती है।

अभी सिर्फ 8 प्रतिशत बुजुर्ग इस बीमारी के शिकार हैं, लेकिन जिस गति से धुम्रपान और तनाव बढ रहा है, उससे यह प्रतिशत काफी मात्रा में बढने की संभावना बन रही है।

इसलिए यदि आप धुम्रपान करते हैं, तो अभी से सावधान हो जाएं, अन्यथा ऐसा न हो कि आने वाले दिनों में आप स्मृतिलोप के शिकार हो जाएँ।